अजब गांडू की गजब कहानी-17

पिछला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-16

अंकल ने फिर करवट ली, और अपना हाथ चित्रा की चूत के ऊपर रख दिया, और धीरे-धीरे चूत सहलाने लगे। चित्रा की चूत का दर्द तो कब का गायब हो चुका था। अब तो चूत अगली मस्त चुदाई के लिए तैयार होने लगी थी। पेशाब करके आए अंकल का लंड अभी ढीला ही था।

लगता था अंकल को इस बार भी चित्रा की चुदाई की कोइ जल्दी नहीं थी। अंकल के सहलाने से चित्रा चूत फिर हल्की-हल्की गीली होने लग गयी। एक और चुदाई की इच्छा उसके मन में जागने लगी। ना जाने क्या हुआ, चुदाई की मस्ती में चित्रा का हाथ अपने आप अंकल के लंड पर चला गया। चित्रा का हाथ लगाते ही अंकल का लंड भारी होने लगा। ना तो अंकल का लंड पूरा बैठा था, ना ही पूरा खड़ा ही था। अब आगे

चित्रा बता रही थी, ”अंकल करवट से लेटे हुए थे और मेरी चूत सहला रहे थे। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि चूत सहलाते-सहलाते अंकल का लंड खड़ा होता जा रहा था। मैं अंकल का लंड हाथ में लेना चाहती थी, मगर करवट से लेटे अंकल का लंड मैं ठीक से पकड़ नहीं पा रही थी। अंकल समझ गए कि मैं लंड हाथ में लेना चाह रही हूं। अंकल ने सीधी करवट ली और एक-दम से अंकल का लंड खूंटे की तरह सीधा हो गया। हां अब ठीक था। मैंने अंकल का खड़ा लंड अपने हाथ में ले लिया।”