दोस्तों मेरी हिंदी चुदाई कहानी में आपका स्वागत। मैं बैंगलोर में अपने परिवार के साथ रहता हूं। मुझे बैंगलोर शिफ्ट होके पांच साल हो गए है। मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं, और कंपनी में टॉप लेवल में नौकरी करता हूं, और एक बड़े अपार्टमेंट में रहता हूं।
बात लगभग तीन साल पहले की है। मैंने मेरे बेटे को एक स्कूल में एडमिशन कराया। वहां मेरी मुलाकात मेरे बेटे की क्लास मैडम से हुई। उनका नाम एकता था। उमर 28 साल। एक-दम गोरी, और खूबसूरत। कोई भी देख ले तो उन पर फिदा हो जाए। मेरी बेटे को बस पर छोड़ने के टाइम रोज उनसे मुलाकात हो जाती थी, और हाय-हेलो होती थी। वो भी हमारी ही सोसाइटी के दूसरे टावर में रहती थी।
एक दिन स्कूल बस ना आने की वजह से मैंने एकता को और मेरे बेटे को ऑफिस जाते टाइम स्कूल में छोड़ा। उस टाइम उनसे मेरी अच्छे से मुलाकात और बात-चीत हुई। तब पता चला वो अकेले ही रहती थी। उसके हसबैंड नोएडा में जॉब करते थे, और उनकी शादी को अभी दो साल ही हुए थे।
खैर मैंने उन्हें ड्रॉप किया और ऑफिस चला गया। शाम को घर आ कर मैंने मेरी बीवी को ये बात बताई। उसने भी मुझे बोला कभी मैडम से मुझे भी मिलवा दीजिए। उन्हें कोई काम हो या हमें कोई काम हो तो एक-दूसरे के काम आ सकते है।
दूसरे दिन मैंने मैडम को ऑफिस से फोन किया और उन्हें डिनर के लिए इनवाइट किया। वो मान गई और रात आठ बजे हमारे फ्लैट पर आई। मैंने मेरी बीवी की मुलाकात मैडम से कराई। वो मेरे बेटे के लिए कुछ चॉकलेट भी लाई थी। उस टाइम हमारा एक ही बेटा था। हम सभी ने मिल कर डिनर किया, और ढेर सारी बात की। एकता मेरी वाइफ से काफी घुल-मिल गई थी, और वो मेरी वाइफ को दीदी बोलने लगी।
एक ही अपार्टमेंट में रहने की वजह से हम काफी अच्छे दोस्त बन गए। वो मेरे साथ काफी खुल कर बात करने लगी। कभी-कभी तो सेक्स की बातें भी करती थी। मुझे पता चला वो अपने पति के साथ सेक्स के मामले में खुश नहीं थी। इधर उनसे मिलने के बाद मेरी तो उनको चोदने की इच्छा ही बढ़ गई थी। मैं रोज मेरी वाइफ को एकता समझ कर चोदता था।
इसके एक महीने बाद स्कूल की वेकेशन शुरू हो गए। मेरी वाइफ और बेटा अपने मायके चले गए एक महीने के लिए। लेकिन एकता को कोई छुट्टी नहीं मिली तो उसे बैंगलोर में ही रुकना पड़ा कुछ स्कूल प्रोजेक्ट के लिए।
हम लोग रोज फोन पर बात करते थे। उसे पता चला मेरी वाइफ यहां नहीं थी तो शाम को उसने मुझे डिनर के लिए अपने घर बुला लिया। मैं शाम को घर में लोअर और टी-शर्ट डाल कर एकता के फ्लैट पर पहुंच गया। मैंने कॉलबैल बजाई तो उसने दरवाजा खोला।
क्या गजब लग रही थी वो, मानो कोई अप्सरा जमीन पर उतर आई हो। वो काले कलर की नाइटी में थी। परफ्यूम की बहुत ही बढ़िया महक आ रही थी। वो पूरी तरह से तयार थी। मैं अंदर गया, उससे पहले ही मेरा लंड ना जाने कब एक-दम कड़क हो कर खड़ा हो गया, और लोअर में से साफ दिखाई देने लगा।
मैं सोफे पर बैठ गया जब तक एकता मेरे लिए पानी लाई, और मेरी बगल में ही बैठ गई। उसने मेरे लंड को देख लिया था। उसे पता नहीं एक-दम क्या हुआ, उसने मेरे कंधे पर अपना सिर रख दिया, और रोने लगी।
मैंने पूछा: क्या हुआ एकता?
तो वो जोर से मेरे सीने से लिपट गई। ऐसा करते ही मेरे शरीर में एक-दम सनसनी सी फैल गई। मैंने उसे खड़ा किया, और आमने-सामने अपने से लिपटा लिया। हम दोनों करीब पांच मिनट ऐसे ही लिपटे रहे। उसके बूब्स मेरे सीने से लगे हुए थे, और मेरा लंड उसकी चूत को छू रहा था।
फिर हमने एक-दूसरे के होंठों को चूसना शुरू किया। धीरे-धीरे उसका एक हाथ मेरे लंड पर पहुंच गया। वो लोअर के उपर से ही उसे मसलने लगी। मैंने भी अपने एक हाथ से उसके बूब्स को दबाना शुरू किया, तो वो एक-दम पागल हो गई।
उसने एक ही झटके में मेरे लोअर को नीचे कर दिया, और लंड को मुंह में ले लिया। वो लगभग दस मिनट तक ऐसे ही मेरे लंड को चूसती रही। मैं तो आज जन्नत में ही पहुंच गया था। किसी ने मेरे लंड को आज तक ऐसे नहीं चूसा था। वो पूरा मजा ले रही थी। मुझसे भी अब रुका नहीं गया, और पूरी स्पीड से उसके बालों को पकड़ कर अपने लंड से उसके मुंह को चोदने लगा।
मैंने अपना लंड उसके पूरे गले तक डाल दिया, जिससे वो एक-दम तड़प गई, और मैं जल्दी ही उसके मुंह में ही झड़ गया। उसने मेरा पूरा लंड अपनी जीभ से चाट कर साफ कर दिया, और अब हम दोनों सोफे पर ही बैठ गए।
मैंने पूछा: एकता तुमने तो मुझे डिनर के लिए बुलाया था। ये सब क्या है (थोड़ा मजाक के स्वर में उससे बोला)?
वो भी क्या कम थी।
वो बोली: ये डिनर का ही एक पार्ट, यानी स्टार्टर है।
तभी किसी ने कॉलबैल बजाई।
मैं बोला: इस टाइम कौन है?
मैंने झट से अपना लोअर उपर किया, और बैठ गया। वो गेट पर गई। डिलीवरी बाय था। उसने खाना ऑर्डर किया हुआ था। उसने पहले खाना टेबल पर लगाया। हम दोनों ने खाना खाया और बातें करने लगे। उसने बताया कि उसके पति में सेक्स की कोई फीलिंग नहीं थी, इसीलिए दो साल के बाद भी वो मां नहीं बन सकी।
वो बोली: तुम्हारा मेरे पति के साइज से तीन गुना बड़ा है। अरुण मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनना चाहती हूं आज ही।
मैं उसे चाहता था मन ही मन में, और चोदना भी चाहता था। लेकिन सोचता था ये सब कैसे होगा। पर वो तो खुद ही मुझे पागलों की तरह चाहती थी, और चुदना चाहती थी।
अब हमने अपना डिनर खतम किया, और वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई। रूम से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। वो मेरे से वापस लिपट गई। अब मैं भी अच्छी तरह से उससे लिपट गया, और उसे बेड पर लिटा लिया। लेकिन लिटाने से पहले मैंने उसकी नाइटी निकल दी, और अपनी टी-शर्ट और लोअर भी निकाल दिया। वो काली ब्रा और पैंटी में गजब लग रही थी। बदन तो उसको गोरा था ही, एक-दम पतली कमर, थोड़े मोटे बूब्स, और थोड़ी बाहर निकली हुई गांड थी।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटा लिया, और उसके उपर आ गया, और उसे पागलों की तरह चाटने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, और सिसकारियां भर रही थी। मैंने उसके होठों से शुरू किया। फिर हल्के से उसकी ब्रा निकाली, और बूब्स को चूसना शुरू किया। वो पागलों की तरह करने लगी।
उसका एक-दम चिकना बदन था। एक-दम नर्म मुलायम। मैं धीरे-धीरे उसके बूब्स चूस जा रहा था। अब मेरा एक हाथ उसकी पैंटी पर पहुंच गया, और मैंने फील किया उसकी पैंटी एक-दम गीली हो चुकी थी। शायद वो एक-दो बार झड़ चुकी थी। फिर मैं उसके नीचे उसकी चूत के पास अपने मुंह को ले गया। उसकी खुशबू को मैंने पहले पैंटी के उपर से ही महसूस किया। क्या मॉल था। फिर झट से मैंने उसकी पैंटी उतार दी।
अब मेरे सामने एक गुलाबी, एक-दम बढ़िया से शेव की हुई, नरम, और साइज़ में छोटी सी चूत थी, जिसे पहले तो मैं देखता रहा। ये किसी शादी-शुदा औरत की नहीं बल्कि किसी सोलह साल की लड़की की चूत लग रही थी। फिर मैंने उस पर अपना हाथ घुमाया तो एकता एक-दम सिसकारियां लेने लगी। मैंने तुरंत अपना मुंह उसकी चिकनी चूत पर लगा दिया, और उस पर अपनी जीभ फेरने लगा।
मैंने धीरे से उसकी चूत में अपनी जीभ घुमाई। वो आह आह की आवाज निकालने लगी। मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चोदता रहा। अभी दस मिनट ही हुए थे, कि, उसने एक-दम मेरे सर को जोर से अपनी चूत पर दबाया। मुझे मालूम हो गया वो झड़ने वाली थी। फिर वो झड़ गई, और क्या मजा आया था।
वो पागलों की तरह मुझे सहलाए जा रही थी। अब हम 69 की पोजीशन में आ गए। वो मेरे उपर थी। उसने मेरे लंड को कुल्फी समझ रखा था, और चाट-चाट कर चूसे जा रही थी। उसके मुंह के पानी से मेरा लंड भी एक-दम चमक उठा था, और मेरे मुंह पर वो अपनी चूत रगड़ रही थी। मैं अपनी जीभ से उसके क्लिट को छेद रहा था।
ऐसा कुछ समय करने के बाद, वो मेरे लंड को अपनी चूत पर सेट करके धीरे-धीरे बैठने लगी। क्योंकि उसकी चूत छोटी थी, तो उसे दर्द भी हो रहा था ऐसा करने में। मैं उसका नीचे से साथ दे रहा था। अब लंड पर वो पूरी तरह बैठ कर मुझे चोदने लगी। उस समय वो क्या एहसास था, मैं शब्दों में नहीं बता सकता। पूरे रूम में फच-फच की आवाज आ रही थी। ऐसे वो पंद्रह मिनट करने के बाद झड़ गई, और मेरे सीने पर ही पड़ गई।
लेकिन मेरा अभी होने का नाम नहीं ले रहा था। क्योंकि मैं एक बार पहले एकता के मुंह में झड़ चुका था। अब मैंने उसे बेड के साइड में घोड़ी बनाया, और उसके पीछे आ कर चूत में जोरदार धक्के के साथ अपना लंड पूरा उसकी चूत में डाल दिया। वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी, लेकिन मैंने उसे पूरी तरह से जकड़ रखा था, तांकि वो नीचे से निकल ना सके। अब मैं बे परवाह एकता को चोदे जा रहा था। उसे भी बहुत मजा आ रहा था। वो बार-बार बोल रही थी-
एकता: अरुण आज से मैं आपकी हूं। मुझे और जोर से चोद दो।
अब मेरा होने वाला था। अब मैंने उसे बेड पर लिटाया, और मिशनरी पोजीशन में आ गया। ऐसे भी उसे खूब चोदा, और एकता ने भी मेरा साथ भरपूर दिया। पंद्रह मिनट बाद मैंने उससे पूछा मेरा होने वाला है।
वो बोली: अंदर ही डाल दो, मैं आपके बच्चे की मां बनना चाहती हूं।
और मेरा एक दो झटके में अंदर ही छूट गया।
मैं उस रात उसके रूम पर ही रुक गया। उसने भी मुझे जाने नहीं दिया, और रात भर में हमने तीन बार और सेक्स किया। सुबह छह बजे मेरी आंख खुली, तो हम दोनो नंगे ही बिस्तर पर सोए हुए थे।
मैं उठा और एकता को बोला: अब मैं चलता हूं, मुझे ऑफिस भी जाना है।
पर वो बोली: पागल आज इतवार है। ऑफिस और स्कूल दोनों की छुट्टी है। सो जाओ अभी।
मैं बाथरूम में गया। फिर फ्रेश हो कर फिर उससे लिपट कर सो गया। उस दिन भी हम दोनों ने चार-पांच बार सेक्स किया, और शाम को हम डिनर करने बाहर चले गए। दोस्तों एक महीने तक जब तक मेरी बीवी नहीं आई, एकता को ही अपनी बीवी बना कर खूब चोदा। मेरी हिंदी चुदाई कहानी आपको कैसी लगी मुझे जरूर बताएं।