अंकिता और मेरी कामवासना-4

पिछला भाग पढ़े:- अंकिता और मेरी कामवासना-3

Xxx हिंदी कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, कि मैं और अंकिता नंगे हो चुके थे, और एक-दूसरे का रस पी चुके थे। फिर मैंने अंकिता से चूत में लंड डालने की इजाज़त मांगी। अब आगे-

अंकिता बोली: हां मनीष, चोदो ना अपनी अंकिता को।

मैंने अपने लंड को अंकिता की चूत के मुख पर रखा, और अंकिता की आंखों में देखते हुए बहुत धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चूत में प्रवेश करवाने लगा। अंकिता धीरे-धीरे उफ्फ आह की सिसकारियां ले रही थी, और मेरा लंड उसकी चूत में समा चुका था। मैं अपनी गांड आगे-पीछे करके अंकिता की चूत में लंड आगे-पीछे कर रहा था, और अंकिता भी अपनी गांड ऊपर-नीचे कर-कर के मेरा साथ दे रही थी। मैं अंकिता के बूब्स मसलते हुए, कभी उसे चूमते हुए उसकी चुदाई कर रहा था।

अंकिता बोली: मनीष कितने प्यार से चोद रहे हो तुम।

कमरे में फ़च फ़च फ़च आह उफ्फ आह की आवाज़ों से माहौल रंगीन था।

अंकिता बोली: मनीष उफ्फ, अब मैं झड़ने वाली हूं। मेरी चूत तुम्हारे प्यार से तर-बतर हो चुकी है।

मैंने भी अंकिता से कहा: अंकिता तेरी चूत की गर्मी ने मेरे लंड को स्खलित होने पर मजबूर कर दिया है।

मैंने एक-दो तेज झटके दिए, तो अंकिता के मुंह से आह निकल गई। हम दोनों ने एक-दूसरे को कस कर पकड़ा, और आह की आवाज के साथ मेरे लंड से एक तेज पिचकारी निकलते हुए अंकिता की चूत में समा गई। हम दोनों एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे। मेरा सारा वीर्य अंकिता अपनी चूत में कैद कर चुकी थी। मेरा लंड भी अंकिता की चूत ही में था, जब तक कि वो स्वत ढीला होकर बाहर ना आ गया हो। अंकिता और मैं एक-दूसरे से लिपटे थे।

अंकिता बोली: मनीष तूने तो मुझे पूरा पागल हो कर दिया अपने प्यार में।

मैंने कहा: अंकिता तुम हकदार भी तो हो इस प्यार की। तुम हो ही इतनी प्यारी, हसीन, कामुक।

अंकिता बोली: मनीष हमेशा मुझे इतना ही प्यार करोगे ना?

मैंने कहा: अरे अंकिता, ये तो बस शुरुवात है। अभी तो देखना हम क्या-क्या करते है, और हमारे बीच कितना प्यार पलता है। थोड़ी देर बाद हम दोनों अपने दैनिक कर्म से निवृत हुए, और अपने-अपने कपड़े लेकर एक साथ एक-दूसरे की बाहों में एक-दूसरे के बदन को साबुन लगा कर, चूमते हुए, नहाए। फिर एक-दूसरे का बदन पोंछा, और कपड़े पहन कर बाहर आए। अंकिता अपने साथ एक टाइट जींस और टॉप लेकर आई थी, और मैंने भी अपनी जींस और टी-शर्ट पहनी थी। अंकिता की जींस पर मेरी नजर पड़ी, तो उसकी गांड देख कर मेरा मूड बन गया। मैंने अंकिता की गांड पर एक चाटा मारा, और बोला-

मैं: क्या गांड है अंकिता तुम्हारी!

अंकिता: आऊच, मनीष क्या कर रहे हो?

और मेरी तरफ आकर मुझे किस किया। मैंने अंकिता को अपनी बाहों में कर लिया, और उसके मादक बदन की मादकता की खुशबू लेने लगा। मैंने अंकिता के कान पर गर्दन पर किस की। फिर उसकी पीठ पर किस की और उसके कान में कहा-

मैं: अंकिता सुबह-सुबह मुंह मीठा नहीं करोगी अपना?

अंकिता खुद ही अपने घुटनों पर बैठ गई और मेरी जींस के बटन खोल कर अंडरवियर के साथ उसे नीचे खिसका दिया। मेरा खड़ा लंड एक-दम से बाहर आ गया।‌ अब अंकिता ने मेरे लंड पर एक प्यारा सा चुंबन दिया, और मेरी आंखों में देख कर बोली-

अंकिता: मनीष मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं।

मैंने अपना हाथ अंकिता के सर पर रखा और अपने लंड पर उसे दबाते हुए कहा: अंकिता तुम तो मेरी जान हो। मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं। चूस लो उफ्फ मेरा लंड। पूरा मुंह में लो, आह चूसो उफ्फ।

अंकिता बहुत प्यार से मेरा लंड चूसने लगी, जिससे वो और मैं दोनों जोश से भर गए। मैंने अब अपनी टी-शर्ट खोल के फेंकी, और अंकिता का भी टॉप उतार दिया, और उसकी ब्रा को ऊपर करके उसके निप्पल चूसने लगा।

मैं: अंकिता, लव यू जान। क्या नरम-गरम बूब्स है तुम्हारे।

मैं अंकिता के दोनों बूब्स को मसल-मसल के चूस रहा था। मेरे हाथ अब अंकिता की जींस के बटन को खोल रहे थे, और एक ही झटके में जींस में फसी अंकिता की गांड पैंटी सहित मैंने आजाद कर दी। मैंने एक हाथ अंकिता की चूत पर रखा, और उसकी चूत मसलने लगा। कुछ ही देर में अंकिता सिमटने लगी। अंकिता की चूत पानी छोड़ चुकी थी। मैंने अंकिता को उल्टा किया, और उसे धक्का देकर सोफे पर ऐसे बैठाया कि उसकी गांड मेरी तरफ हो।

मैंने अंकिता की गांड के दोनों उभारों को चाटा-चूमा। फिर अंकिता के दोनों कूल्हों को फैला कर उसकी गांड के छेद को देखा, और फिर उसकी गांड का छेद चाटने लगा।

मैंने अंकिता से कहा: अंकिता अब मैं तुम्हारी गांड मारने वाला हूं।

अंकिता बोली: हां मनीष, मार लो, लेलो अपनी अंकिता की गांड भी आज।

मैंने अपना लंड अंकिता की गांड पर टिकाया, तो अंकिता छटपटाने लगी। अंकिता धीरे-धीरे उफ्फ आह आह आह उफ्फ आह आह उफ्फ करने लगी। मैंने अब अंकिता की गांड पर फिर अपना लंड लगाया, और धीरे से धक्का दिया, तो एक दम मेरा टोपा अंकिता की गांड में चला गया। आह आउच उफ्फ चीखते हुए अंकिता ने अपने हाथों से सोफे के कवर की मुठ्ठी बंद कर ली। मैं समझ गया कि अंकिता को दर्द हो रहा था।

मैंने कहा: अंकिता क्या हुआ?

रोने जैसी आवाज में अंकिता बोली: मनीष, आह उफ्फ बहुत दर्द हो रहा है। अपना लंड बाहर निकाल लो मनीष। मत करो मेरी गांड में मनीष।

मैंने कहा: अंकिता मेरी जान, ये तो हमारे प्यार की निशानी और परीक्षा है। आज मैं तुम्हारा यही इम्तेहान ले रहा हूं, कि तुम मेरे लिए क्या-क्या सहन कर सकती हो। क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती?

अंकिता बोली: मनीष मैं तो तुम्हारे लिए हर दर्द सह सकती हूं। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। उफ्फ मनीष मत निकालो बाहर, मुझे तड़पने दो, चिल्लाने दो, रोने दो, पर आज अपनी अंकिता की गांड मारो मनीष।

मुझे तो अंकिता की यही बातें कामुक लगती है। मैंने अपना लंड अंकिता की गांड से हटा दिया और उसकी गांड अपनी जीभ से साफ करने लगा।

अंकिता बोली: उफ्फ जान, आह क्या आज मेरी गांड खाने का इरादा है? लो अच्छे से चाटो अपनी अंकिता की गांड मेरे मनीष।

उफ्फ, मैं अंकिता की गांड में जीभ डाल कर उसकी पूरी गांड चाट के साफ किया। फिर उठ कर अंकिता को गले लगाते हुए मैंने कहा-

मैं: अंकिता बहुत दर्द हो रहा था ना तुम्हे गांड में लेने में? तो छोड़ो आज नहीं, फिर किसी दिन आराम से तुम्हारी गांड लूंगा। अंकिता मेरी बातों से बहुत कामुक हो उठी, और अपने घुटनों पर बैठ कर मेरे सामने मुंह उठा कर बोली-

अंकिता: तो मनीष मेरी जान, आज मेरे मुंह पर अपना वीर्य गिरा दो।

ये बोल कर वो अपने नर्म हाथों से मेरा लंड पकड़ के हिलाने लगी। कुछ ही पलों में एक पिचकारी के साथ मेरा पूरा वीर्य अंकिता के चेहरे पर गिर गया। उफ्फ अंकिता, धीरे-धीरे मेरा लंड सिकुड़ने लगा। मैंने अब अपना फोन उठाया, और अंकिता के वीर्य से भरे चेहरे की फोटो ली, और अंकिता को वो फोटो देखते हुए कहा-

मैं: देखो अंकिता, हमारे प्यार की निशानी कितनी प्यारी है। अंकिता मुस्कुराते हुए मेरे सीने से लग गई।

हम दोनों कुछ देर यूं ही रहे। फिर अपने-अपने कपड़े पहने, मुंह-हाथ धोए, और अंकिता अपने घर के लिए निकल गई।

कुछ दिन हमारी मुलाकातों का सिलसिला जारी रहा। फिर अंकिता का नियुक्ति पत्र आ गया, और वो दूसरे शहर चली गई। आगे क्या हुआ। कैसे हमारी शादी हुई, और अंकिता और मैंने हर प्रकार की कामुक क्रियाओं का कैसे मजा लिया। जानने के लिए कहानी के अगले भाग पढ़े, जो जल्द भेजे जाएंगे। आपकी प्रतिक्रियाओं की हम प्रतीक्षा करेंगे। आप [email protected] या [email protected] के माध्यम से भी हमें प्रतिक्रियाएं भेज सकते है।