शीला की जवानी-22 (अंतिम भाग)

चुदाईयों से फारिग हो कर सब हॉल में बैठे थे। अंदर संधू और ज्योति के चुदाई चल रही थी।

शीला चूत में उंगली करने लगीI नैंसी को घोड़ी की तरह चूतड़ पीछे करके खड़े देख कर मेरा लंड फुंफकारे मारने लगा। नैंसी के बड़े-बड़े चिकने चूतड़ों से मेरी नजर ही नहीं हट रही थी।

वैसे तो क्या, मेरी जगह कोई बड़ा बाल ब्रह्मचारी भी होता, तो उसका भी लंगोट ढीला हो जाता। मैं तो फिर पुराना खिलाड़ी था। चूत और चुदाई का पिस्सू। और अब तो गांड चुदाई का भी उस्ताद बन गया था।

जैल नैंसी पहली चुदाई के बाद साथ ही ले आई थी, और मेज पर ही पड़ी थी। कंडोम मैंने लंड पर चढ़ाया और नैंसी कि पीछे जा कर ‘थोड़ी सी’ जैल लगाई। इस बार लंड रगड़ा लगा कर गांड में डालने का मन हो रहा था। नैंसी ने भी तो यही कहा था “आजा जीत, फाड़ मेरी गांड।”

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