शीला की जवानी-3

कुछ देर ऐसे ही लेटने के बाद मैं लंड निकालने को हुआ कि ज्योति बोली, “अभी नहीं अजीत। ये कह कर ज्योति ने मेरे होंठ अपने होठों में ले लिए और चूसने लगी।

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-2

इतने में वो मेरे करीब आकर मुझे गले लगा लिया और मैं उसके सीने पे सर रखकर रोने लगी। पाँच मिनट तक हम ऐसे ही बैठे रहे। फिर उसने कहा, “माँ, मैं समझूंगा तुझे।

घरेलू काम वालियों की चुदाई-2

छोड़ो साहब निरोध। क्यों चुदाई का मजा आधा कर रहे हो। हमारे मर्द नहीं चढ़ाते निरोध लंड पर। उनके पास तो टाइम ही नहीं होता निरोध चढ़ाने का।