पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-12
हिंदी अन्तर्वासना कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे यामिनी चुदने से बच गई। फिर कैसे हमने यामिनी का बदला लिया। उसके बाद हम बाजार के लिए निकल गए थे।
यामिनी और मैं बाजार पहुंच गए। वहां वो एक जॉइंट बाजार में ले गई। नॉर्मली जॉइंट बाजार वो होता है जिसमें सेंटर में पार्क हो, और राउंड सर्किल करते हुए दुकानों की लाइन लगती हो।
वहां उसने मुझे पार्क में ले जाकर बिठा दिया, और अकेले ही घूम-घूम कर शॉपिंग करने लगी। करीब आधे घंटे बाद जब वो आई, तो उसके हाथ में 2 बैग थे। मैंने देखने के लिए मांगा तो उसने रात का सरप्राइस कह कर देखने नहीं दिया। फिर हम दोनों चाट वगैरह खा कर शाम तक वापस रूम पर आ गए। वहां मनीषा नहीं थी।
यामिनी और मैं बाजार पहुंच गए। वहां वो एक जॉइंट बाजार में ले गई। नॉर्मली जॉइंट बाजार वो होता है जिसमें सेंटर में पार्क हो, और राउंड सर्किल करते हुए दुकानों की लाइन लगती हो।
वहां उसने मुझे पार्क में ले जाकर बिठा दिया, और अकेले ही घूम-घूम कर शॉपिंग करने लगी। करीब आधे घंटे बाद जब वो आई, तो उसके हाथ में 2 बैग थे। मैंने देखने के लिए मांगा तो उसने रात का सरप्राइस कह कर देखने नहीं दिया। फिर हम दोनों चाट वगैरह खा कर शाम तक वापस रूम पर आ गए। वहां मनीषा नहीं थी।
कॉल करने पर पता चला कि वो पार्लर गई थी। रात तक वो हमे नहीं दिखी। शाम को खाने के बाद हम दोनों रूम पर आ गए थे। पर अब तक मनीषा नहीं आई थी। फिर वापस मैंने कॉल किया तो इस बार उसने उठा लिया। वो खाना खा रही थी। मैंने उसे जल्दी रूम में आने को कहा।
थोड़ी देर बाद मनीषा रूम में आई तो उसके आते ही मैंने उसे थप्पड़ मारते हुए कहा: साली, कब से तेरा वेट कर रहे हैं। कहां मर रही थी?
वो अपने गाल पर हाथ लगा कर शांत खड़ी रही। फिर मैं वापस उसे थप्पड़ मारने लगी, तो यामिनी बोली: अरे रुक जा। बेचारी को मत मार।
मैं उसकी बात सुन कर दंग रह गई, कि तब से ये ही तो परेशान थी, अब इतनी शांत क्यों है? फिर यामिनी ने मनीषा को इशारे से अपने पास बुलाया। उसके बाद उसे अपनी गोद में बिठा कर बोली, “मेरी मनीषा, आज तेरी सुहागरात है। और तू ऐसी बनी हुई है। मैं तेरे लिए कपड़े लाई हूं। जा पहन कर हमारा वेट करना।”
मैंने देखा इसमें एक नाइट शर्ट और पायजामी थी। फिर मनीषा को छत की चाबी देकर यामिनी उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले गई। नॉर्मली लड़कियां इस समय तक खाना खाकर अपने रूम में घुस जाती थी। तो यामिनी उसे लेकर सीढ़ियों से ऊपर ले गई और धीरे से गेट खोल कर उसे छत पर करके वापस रूम में आ गई। फिर उसने गेट बंद करते हुए मुझे देख कर आंख मारी, और साइड में रखे बड़े पर्स को ले आई जो वो मार्केट से लाई थी।
उसने मुझे बेड पर बिठा कर पर्स देते हुए कहा, “आज इस रंडी की गांड ना फाड़ दी तो कहना।” ये कहते हुए उसने वो बड़ा सा पर्स मुझे दे दिया। मैंने जब चैन खोल कर झांका तो हैरान ही रह गई। मैं उसे फटी आंखों से देखने लगी।
उसने अपना मुंह दूसरी ओर फेर लिया। ये देख कर मैंने पर्स को बगल में रख दिया, और आगे सरक कर उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहा, “मुझे नहीं पता था कि मेरी जान के ऐसे भी शौक है।” और उसके स्तनों को हाथों में पकड़ कर सहलाने लगी। फिर मैं उसके कान के पीछे चाटने लगी। ये होते देख उसने आगे सरकने की कोशिश की, तो मैं उसके स्तनों को कस कर मसलने लगी, जिससे उसकी सिसक निकलने लगी, और उसने विरोध करना छोड़ दिया।
मैं अब उसके स्तनों को हल्के से मसलते हुए उसकी गर्दन चाटने लगी, और एक हाथ को सरकाते हुए नीचे उसकी पेट तक ले गई। पर उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा, “प्लीज रागिनी, बस आज की रात मेरा साथ दे दो, उसके बाद तुम जो बोलोगी वो में करूंगी।”
ये सुन कर मैं कुछ समय के लिए वैसे ही थम सी गई। फिर उसके निप्पलों को शर्ट के ऊपर से मसलते हुए बोली, “तो बोल, अब तू मेरी दासी बन कर रहेगी। मेरी कही हर एक बात मानेगी।” तो उसने हां में सिर हिलाया। ये देख कर मैं अपने हाथ को उसकी पायजामी के ऊपर से ही उसकी चूत पर सहलाते हुए बोली, “कल से इस पर सिर्फ मेरा हक होगा, तेरे पति से भी ज्यादा।” तो उसने फिर हां में सिर हिलाया।
ये देख कर मैं खुशी में भर गई। मैंने उसको पीछे खींच कर झुकाते हुए उसके सिर को ऊपर करके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। इस बार वो मेरा साथ देते हुए मेरी जीभ से अपनी जीभ लड़ाने लगी। करीब 2 से 3 मिनट के चुम्बन के बाद मैंने उसके होंठों को छोड़ते हुए उसके चेहरे को देखा, तो उसने अपनी आँखें बंद की हुई थी। ये देख कर मैं उसकी दोनों पलकों को चूम कर उसको सीधा कर देती हूं।
फिर मैं उठ कर खड़ी होते हुए बोली, “चल, आज मनीषा की सुहागरात के मजे लेते हैं।” ये सुन कर यामिनी खड़ी हुई और रूम के बाहर जाने लगी। मैं भी पर्स लेकर उसके पीछे-पीछे चलने लगी।
उसके हिलते चूतड़ मुझे मदहोश कर रहे थे। पर मैं जानती थी कि आज के बाद यामिनी मेरी हो ही जानी थी। तो आज की रात सब्र कर लेते है। फिर हम छत पर पहुंचे, और सीधा स्टोर रूम की तरफ चल दिए। गेट खुला ही था, जहां बेड पर बैठ के मनीषा मोबाइल चला रही थी। उसने कपड़े बदल लिए थे। रूम में 9 वाट का बल्ब जल रहा था, जिसकी रोशनी इतनी ही थी, कि रूम में सब दिख जाए। फिर हमने गेट अंदर से बंद कर दिया।
हम मनीषा के पास खड़े हो गए, तो उसने मोबाइल रख दिया और सिर झुका कर बैठी रही। यामिनी मुझे देख कर मुस्कराई। फिर वो बेड पर चढ़ कर लेट गई। मैं भी पर्स को बेड के साइड में रखते हुए दूसरी तरफ लेट गई। फिर यामिनी ने बैठी मनीषा के कुर्ते को पीछे से ही खींचा, तो मनीषा भी पीछे सरकते हुए हम दोनों के बीच में लेट गई।
हम दोनों एक-दूसरे को देखते हुए मुस्करा रहे थे, पर मनीषा अपने दोनों हाथों को अपने सीने पर रख कर लेटी हुईं थी।
यामिनी मनीषा के चेहरे को ध्यान से देख रही थी। फिर यामिनी अपने चेहरे को मनीषा के एक-दम पास करते हुए उसके कान में हल्के-हल्के फूंकने लगी। ये देख के मैंने भी ऐसा करना शुरू कर दिया। इससे मनीषा के शरीर में हल्के-हल्के गर्मी चढ़ने लगी, जिस कारण उसने अपनी आँखें बंद कर ली। तो यामिनी अब अपने एक हाथ को मनीषा के पेट पर रख कर सहलाने लगी। साथ ही उसके कान को मुंह में भर के चूसने लगी।
मैं भी यामिनी का साथ देने लगी, और मैंने अपने हाथ को मनीषा के गले पर रखते हुए उसके कान को चूसना शुरू कर दिया। अब मनीषा की सांसे तेज हो गईं थी, जो उसकी जल्दी-जल्दी उठती छाती बता रही थी। ऐसा करते हुए मैंने अपना एक हाथ सरकाते हुए एक स्तन पर रख दिया, तो मनीषा ने अपने हाथ से मेरे हाथ को हटा दिया।
ये देख कर यामिनी ने उसका एक हाथ पकड़ कर, सिर के ऊपर करके, पकड़ लिया, और अब उसके एक स्तन को सहलाने लगी। ये देख कर मैंने भी उसका दूसरा हाथ ऊपर करके उसका स्तन सहलाना शुरू के दिया। हम दोनों स्तनों को मसलते हुए निप्पल को सहला रहे थे, जिससे मनीषा की सांसे तेज हो गई थी, और साथ ही उसके होंठ भी फड़कने लगे थे।
हम मनीषा के गले में चूमते हुए उसके स्तन को मसलते रहे, कुछ पल ऐसा करने के बाद मैंने उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए, और कुछ पलों में हम दोनों के हाथों में उसके नग्न स्तन थे। मनीषा के स्तन यामिनी से थोड़े बड़े थे। जिसे मैं जोर से मसलते हुए उसके निप्पल को अंगूठे से मसलने लगी। यामिनी भी ऐसे ही करने लगी।
हमें ऐसा करने में बड़ा मजा आ रहा था। क्योंकि जब हम उसके निप्पलों को मसलते थे, तो मनीषा की मादक सिसक निकल जाती। वो आंखे बंद करके बस इस मीठे दर्द को महसूस कर रही थी। हम ऐसा करीब 5 से 6 मिनट तक करते रहे, जिससे मनीषा का सब्र टूट गया और उसका पूरा बदन अकड़ते हुए झटके देना शुरू कर दिया। इससे मनीषा अपने चूतड़ों को उठा कर झड़ने लगी। साथ ही उसके मुंह से आह आह की आवाजे भी निकल रही थी।
मनीषा को झड़ते देख हमे बड़ा मजा आ रहा था। इसके आगे क्या हुआ, वो इस सेक्सी कहानी के अगले पार्ट में।
अगला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-14