पार्लर वाली आंटी की चुदाई-2

पिछला भाग पढ़े:- पार्लर वाली आंटी की चुदाई-1

विधवा आंटी की चुदाई कहानी में आप सब पाठकों का स्वागत है। मैं कबीर, अपनी सेक्स कहानी का अगला पार्ट आप सब के सामने लेके हाजिर हूं। उम्मीद है आप सब ने मेरी कहानी का पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा। जिन लोगों ने अभी तक पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है, तो कृपया पहले उसको जरूर पढ़ लें।

दोस्तों पिछले पार्ट में मैंने आप सब को बताया कि मेरा दिल पार्लर वाली करिश्मा आंटी पर आ गया। फिर जब मैंने उनकी चुदाई की कोशिश की, तो बात नहीं बनी। फिर मैंने उनसे बात करना जब बंद कर दिया, तो उन्होंने मुझे अपने घर बुलाया। पहले मैंने मना किया, लेकिन फिर मैं तैयार हो गया। अब आगे की सेक्स स्टोरी की तरफ बढ़ते है।

अगले दिन मैं अच्छे से तैयार होकर, परफ्यूम वगैरह मार कर उनके घर गया। दिन के 10:30 बजे थे, और उनके बच्चे स्कूल गए हुए थे। मैंने वहां जाके उनके घर की घंटी बजाई। आंटी ने दरवाजा खोला। आंटी को देख कर मेरी रूह खुश हो गई। आज आंटी ने सफेद रंग का पजामी सूट पहना हुआ था। उसका कपड़ा थोड़ा ट्रांसपेरेंट था, तो उसमें से उनकी ब्रा नज़र आ रही थी।

आंटी किसी केक से कम नहीं लग रही थी, जिसको देखते ही खाने का मन करे। लेकिन अभी वो वक्त आया नहीं था। फिर आंटी मेरे आगे-आगे बैठक की तरफ चलने लगी। मेरी नज़र तो बस आंटी के विशालकाय चूतड़ों पर थी, जो चलते हुए हवा में लहरा रहे थे। फिर आंटी ने मुझे सोफ़ा पर बैठने को कहा, और खुद किचन में चली गई। मेरी नज़र अब भी उनकी सेक्सी गांड पर थी।

कुछ देर में वो दो ग्लासों में कोल्ड ड्रिंक लेके आई, और मेरे साथ ही सोफा पर बैठ गई। उनके पास बैठने से मुझे उनके जिस्म की गर्मी महसूस होने लगी। फिर वो बोली-

आंटी: अब बोल तूने मुझे मैसेज करने क्यों बंद कर दिए?

मैं: आंटी आप सब जानती तो हो, फिर दोबारा क्यों पूछ रही हो?

आंटी: हाए-हाए! देखो तो कैसे बात कर रहा है। प्यार से भी तो बात कर सकता है ना?

मैं: मैंने कोशिश की थी। सिर्फ प्यार से बात करने की ही नहीं, बल्कि प्यार करने की भी। लेकिन उसका नतीजा मैं देख चुका हूं, धक्के और बेइज्जती।

आंटी: इतना गुस्सा है मुझसे?

मैं कुछ नहीं बोला।

आंटी: तू बस इसलिए गुस्सा है ना मुझसे, क्यूंकि मैंने तुझे उस दिन प्यार नहीं करने दिया? चल आज मैं अपनी गलती की भरपाई कर देती हूं।

ये बोलते ही आंटी मेरे पास से खड़ी हुई, और उन्होंने अपनी कुर्ती निकाल दी। अब आंटी सिर्फ ब्रा और पजामी में थी। उनको ऐसे देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए, वो इतनी सेक्सी लग रही थी। क्या सेक्सी बदन था एक-दम गोरा-गोरा। ऐसी औरत तो किसी साधू संत की भी तपस्या भंग कर दे, तो मैं तो चीज ही क्या हूं। उनके रसीले बूब्स ब्रा में से बाहर आने की कोशिश कर रहे थे। मैं तो बस उन्हें घूरे ही जा रहा था। फिर वो बोली-

आंटी: अब बस घूरे ही जाएगा या कुछ करेगा भी?

तभी मैं होश में आया, और खड़ा होने आंटी को अपनी बाहों में भर कर बोला-

मैं: आंटी आई लव यू।

ये बोलते ही मैंने अपने होंठ उनके होंठों के साथ चिपका दिए, और उनके रसीले मीठे होंठो का रस पीने लग गया। क्या मस्त स्वाद था उनके होंठों का, मजा ही आ गया। होंठ चूसते हुए मैंने उनकी ब्रा खोल दी, और उनके बूब्स को नंगा कर दिया। जैसे ही उनके बूब्स ब्रा से आजाद हुए, मैं उन पर टूट पड़ा, और पागलों की तरह उन्हें चूसने लग गया।

आंटी सिसकियां भर रही थी, और आह आह करते हुए मेरे सर को अपने बूब्स में दबा रही थी। बहुत मजा आ रहा था यार! इधर आंटी मुझे बूब्स चुसवा रही थी, और उधर मैं अपने हाथ उनके चूतड़ों पर ले जा कर उनके चूतड़ सहलाने लगा। क्या मस्त चूतड़ थे उनके मैं बता नहीं सकता। चूतड़ सहलाते हुए मैंने उनकी पजामी नीचे कर दी, और उनकी पैंटी के अंदर हाथ डाल कर उनकी चूत सहलाने लगा।

चूत पर हाथ लगते ही आंटी को एक झटका सा लगा। उनकी चूत पहले से बहुत गीली थी, तो मैंने उसमें उंगली घुसा कर अंदर-बाहर करनी शुरू कर दी। इस बीच हमारी किस्स चलती जा रही थी। फिर मैंने आंटी को वहीं सोफा पर लिटाया, और उनकी पैंटी भी उतार दी। अब उनकी स्वर्ग सी चूत मेरे सामने थी। मैंने देखते ही चूत पर अपना मुंह लगा लिया, और उसको चूसना शुरू कर दिया। मैं कुत्ते की तरह उनकी चूत चूस रहा था, और तभी वो बोली-

आंटी: अब चूत भी दे साले भड़वे!

आंटी के मुंह से गाली सुन कर मैं हैरान रह गया, लेकिन मुझे अच्छा भी लगा। फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे, और अपना फनफनाता हुआ लंड आंटी के होंठो पर रगड़ने लगा। जैसे ही आंटी ने मुंह खोला, मैंने उनके मुंह में लंड पेल दिया, और मुंह चोदने लगा। मुंह चोदते हुए मैं उनके ऊपर आ गया, और अब हम 69 पोजीशन में थे।  मैं उनकी चूत चूस रहा था, और वो मेरा लंड।

थोड़ी देर बाद मैं उठा, और आंटी ने अपनी टांगे खोल कर मुझे चोदने का इशारा किया। फिर मैं आंटी की जांघों के बीच आ गया, और अपने होंठ फिर से उनके होंठों से जोड़ दिए। नीचे एक हाथ से मैं अपने लंड को उनकी चूत पर सेट करने लगा। जैसे ही लंड चूत के मुंह पर अटका, मैंने जोर का धक्का मार कर पूरा लंड उनकी चिकनी चूत में पेल दिया।

आंटी की चीख निकली, और मैंने लंड अंदर-बाहर करके आंटी की चुदाई शुरू कर दी। क्या गरम चूत थी उनकी, और क्या स्वर्गिक एहसास था। ऐसा एहसास कहीं और नहीं मिलता जो चूत में लंड डाल कर मिलता है। अब मैं तेज़-तेज़ धक्के लगा रहा था, और आंटी आह आह करके चूत चुदवा रही थी।

वो मुझे अपनी बाहों में भर कर अपने बूब्स का रस पिला रही थी। मैं स्पीड तेज़ करता गया, और आंटी की आहों की स्पीड भी बढ़ती गई। ऐसे ही लगातार 15 मिनट मैंने उनकी चूत की चुदाई की। फिर जब मेरा निकलने को हुआ, तो आंटी ने अंदर ही निकालने को कहा। मैंने आह आह करते हुए आंटी की चूत को अपने माल से भर दिया। अब हम दोनों शांत हो गए थे। तभी आंटी ने मुझसे पूछा-

आंटी: अब तो खुश है ना तू?

मैं: बहुत खुश।

इसके बाद हमारा ये नाजायज रिश्ता काफी वक्त तक चलता रहा, और फिर जब मैं बोर हो गया, तो मैंने आंटी को ब्लॉक कर दिया। दोस्तों अगर आपको मेरी ये हिंदी चुदाई कहानी पसंद आई हो, तो मुठ जरूर मारे।